जीत की ओर/नैना त्यागी

मंजिलों ने हमें बार बार पुकारा
रास्तों ने हमें हर बार निहारा
हौसलों की लो जो जलती रही
चुनौतियों ने खुद हार को स्वीकारा .......

सपनो की लो को जलाते ही रहना
इरादों को अपने बुलंद बनाते ही रहना 
जो हर हार को जीत में बदल दे
हर चुनौती पर मुस्कुराते ही रहना.......

मैने सूरज की भाती जलना चुना
लाखों की भीड़ ने सिर्फ मुझको चुना
सपने होते है क्या , झूठे संसार में
मेरे दिल ने सदा हकीकत को चुना.......

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