वीर शहीद /महेश कुमार पटेल

देश शहीद के संस्मरण की, लाल मशाल हाथ में

धड़ पड़ा जमीन पर, कटार लिए हाथ में।

चल रही लड़ाई थी, है हुड़दंग समाज में

कर गुजरने हर कड़ी को, जैसे इस संसार में।


हर पल जान चली जाती, ना देखे मौत की घड़ी

कर गुजरते थे हर काम, जैसे कोई फुलझड़ी।

ना मौत को यह देखे, ना बंधु समाज को परखते

देश के नाम संस्मरण में, नया अध्याय को लिखते।


देश की शान को बढ़ाने, वीर देखो चल पड़े

पीछे वीर गाथा के लिए, इतिहास के पन्नों में जड़े।

लक्ष्मी राणा भगत बन, देश की आन के लिए खड़े

वीर देखो हाथ में, बंदूक लिए चल पड़े।


दुश्मनों के भेद को, मिटाने के लिए चले

मतभेद इसी दुनिया में, अपनों का अपनत्व लिए।

व्याधिचारी देश की, अपनों से धोखा खा लिए

उस विशुद्ध जल को, अब निर्मल करने चल दिए।


जैसे बलिदान बीज से, विशाल वृक्ष बन गया

फल-फूल रूपी सिद्धि पाकर, अपना काम कर दिया।

अंधकार से प्रकाश की ओर विष से अमृत कर दिया

देखो सैनिक देश के लिए प्राण पखेरू कर दिया।


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