आज मुझे अपने बगीचे में नया मेहमान मिला, नन्हे पंख फैलाए हुए अपनी नन्ही चोंच से कोई तिनका लिए एक डाल से दूसरी डाल पे फुदक कुछ ढूंढ़ रहा हो जैसे शायद बरसाती मौसम में अपना आशियाना बनाने लगा था उसने तिनका रखा ही था कि तेज हवा ने उसे उड़ा दिया हवा का भी जोर तेज था और हल्की बारिश भी पर वो पंछी फिर से गया और फिर तिनका लाया हवा ने अपने तेवर जरा भी ना बदले और ये सिलसिला ना जाने कब तक चलता रहा बारिश तेज़ हुई और में वापस अपने कमरे में चली आई थी एक हफ्ते बाद सुबह की चाय मै बगीचे में लिए गई तो कुछ चेहचहती आवाज़ों ने मेरा ध्यान खींचा एक डाली पे छोटे से …
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