मन के शांत समंदर मे भी
कभी कभी आ जाती है सुनामी .....
बड़े जोरों से उछल उठता है
उन भावनाओं का प्रवाह
जो कभी समझौते की वेदी पर
कर दी गई थी होम ...
दूर तक जाती हैं लहरें
करने तहस नहस वो सब कुछ
जिसे संयम ने बड़े ही श्रम से
अब तक साध रखा था ।
कुछ देर का तूफान.... फिर शांति ,
और रह जाते है टूटे फूटे अवशेष
कितनी ही यादों और अरमानों के...
मन के शांत समंदर मे भी
कभी कभी आ जाती है सुनामी .
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