सफलता/ दिपा वानखेडे

कितने रिवाजो के
दायरे तोड दिये
जैसे चारदिवारी के
दरवाजे खोल दिये

जो असफलताओ 
से घिरी रहती थी 
उसने कही बंधन
के ताले खुलवा दिये

और सफलता केह
रही हो जोर से
हाँ मै सफल हूं
हाँ मै सफल हूं

मेरा आत्मविश्वास
मेरी अगन मेरी लगन 
मेरी तपस्या मेरा लक्ष
मेरा साहस और मन

जिंदा ख्वाब देखते
है हर पल हर दिन
मेरी परिस्थिती मेरी
हिम्मत और तन

कभी हार नही मानेगी
और केह रही हो जोर से
हाँ मै सफल हूं
हाँ मै सफल हूं

अपने अंदर की
ताकत तुम जानो
खुद से खुद की
पहचान तुम जानो

ख्वाब बडे रखने
से ही पुरे होते है
तुम दुनिया को बदलने 
का नजरिया जानते हो

और मेरी अंतरआत्मा जोश
जगाके केह रही हो जोर से
हाँ मै सफल हूं
हाँ मै सफल हूं

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