हे गुरुवर तुम हमारे जन्म को आकार दो,
दूर सब अज्ञान करके एक नया संसार दो,
ज्ञान का आलोक फैले इस धरा सुख धाम में,
ज्ञान के पंकज खिला दो इस धरा को प्यार दो।
हो गई दुनिया अधर्मी, धर्म का मरघट बनी।
यह धरा तीर्थ बना दो, धर्म का फिर सार दो।
खींचकर अवगुण हमारे, ज्ञान का वरदान दो,
कलयुगी इस मन को मेरे, सतयुगी विस्तार दो।
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