नव प्रभात का स्वप्न/स्वीटी

सपनों में देखी मैंने एक सुबह नई,
जहां हर ओर हो बस खुशी ही खुशी।
नारी-पुरुष समानता का गीत बजे,
हर गली, हर कोना उजाले से सजे।

जहां हर बेटी निर्भीक, स्वतंत्र हो,
सपनों के पंखों से आकाश छू ले वो।
जहां दहेज और अन्याय का अंत हो,
हर घर में खुशियों का संगीत हो।

प्रकृति से हो प्रेम, प्रदूषण मिट जाए,
धरती पर स्वच्छता का राज आए।
जहां विज्ञान और विकास हो तेज़,
भारत बने सबसे महान देश।

जहां न हो युद्ध, न हो कोई द्वेष,
हर दिल में हो बस प्रेम संदेश।
चलो मिलकर इस सपने को सच बनाएं,
नव प्रभात का सूरज जगमगाएं।

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