दादा-दादी, अम्मा-पापा मिलकर सृजित करते एक परिवार,
सुख-दुख में साथ निभाते हैं, मिलकर मनाते हर त्यौहार,
चाचा-चाची, ताऊ-ताई और पड़ोसी कराते हैं समाजिकता का अहसास,
सब मिलकर निर्मित करते सुन्दर व्यवस्थित एक समाज।
व्यापक शब्द है 'समाज' होती है इसमें ज़िम्मेदारी,
रखा जाता है खुद के साथ सबका ध्यान, रहती है सबसे यारी,
जग-प्रयोजन सब मिलकर करते, मिलकर होती है तैयारी,
आपसी मतभेद को नहीं मिलती जगह, यही बात है सबसे निराली।
हर किसी को रहती है हर किसी की जरूरत,
ओहदे के हिसाब से मिलती है सबको इज्ज़त,
अमीर गरीब के बीच में रहता है हरदम एक फासला,
जिससे मिलता है समाज को वर्गों में बँट जाने का हौसला।
धर्मों ने समाज को जोड़ना सिखाया,
लेकिन जातिगत मतभेदों से समाज ने ऊँच-नीच अपनाया,
एकता, सद्भावना और दूसरों का सम्मान होती है समाज की पहचान,
आओ मिलकर करें सुव्यवस्थित समाज का निर्माण।
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