आंखें उसकी आज मुझसे, बहुत कुछ कह कर गई। होंठ तो उसके खामोश थे मगर, उसके खामोशी ने हर बात कही। जाने क्या कहना था उसे, चेहरे पर एक उलझन सी थी। पर आंखों में ही हर बात उनके, महसूस हमने आंखों से की थी। के यह दिल भी मैंने तुझे दिया, हर सुख दुख तेरे नाम किया। छोड़ ना जाना यूं भंवर में मुझे, खुद से ज्यादा भरोसा तुझपे किया। चलो एक वादा हम भी करते हैं, बनके चलेंगे तेरे साथ परछाई। जिस दिन छाव लगे ना एहसास की, उस दिन समझना हमारी सांसे रुक गई। जो रहता था तुम्हारे दिल में, वह जगह भी खाली हो गई।
ऐ चांद...मुझसे खफा ना होना, रूठ के मुझसे यूं बादलों में ना छुप जाना। तुझ में ही तो मैं उन्हें देखती हूं हर रात तुझसे जो भी कहूं वह सुनते हैं हर बात। वो भी तुझे देख कर याद मुझे करते हैं तुम्हें देखने का बहाना बनाकर हर रात मुझे तकते हैं। वो तुझ में ही मुझे देखते हैं मैं भी उन्हें तुझ में देखती हूं, फिर से बादलों में ना छुप जाना एक गुजारिश में तुझसे करती हूं। कि मैं तुझ में ही उन्हें देखती हूं। ऐ चांद...जब मैं मुस्कुराऊं तू भी मुझे देख कर मुस्कुरा देना, जब देखेंगे वह तेरी मुस्कुराहट समझ जाएंगे वह मेरी मुस्कान का बहाना। पता नहीं ऐ चांद....मुझ…
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