बारिश मुझे पसंद है
जिसकी बूंद से छिप जाते है सारे दर्द
रुक जाती है सारी चेहरे की आहट
थम जाता है वे सारे पल जो कभी मेरा हुआ नहीं
मुश्किलें कम होती है उलझने दूर होती है ,
कोई नहीं देख पाता मेरे आंसुओं को
समा लेती है अपने में मेरे दुखी लम्हों को
छू लेते है मेरे भावनाओं को जिस कोई देख नहीं पाया
पा लेता हु अपने आप को जिसे स्वयं न जान पाया
दूर हो जाते है भीग कर मेरे वो सारे दोष
जिसकी जाल से मैं अब तक ढका रहा
पा लेता हूं अपने आप में ईश्वरत्व की छाया
मुझे बारिश पसंद है यह मैं आज जान पाया
0 Comments