तुम/ ज़िंदगी

मेरा हर मौसम तुम हो,

मेरे हर किस्से में तुम हो,

मेरी गुजरे और आने वाले हर लम्हों में तुम हो,

मेरे हर ढालते शाम की कहानी और सुबह की कविता में तुम हो,

मेरे हाथों की लकीरों में एक उम्मीद बन के तुम हो,

"तुम, हाँ तुम, तुम वो हो, जो मुझमे जीती हो"

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