हमारे सैनिक/मोहिनी

वो लहरों से टकरा के 

लहरें चीर निकलते हैं।

पानी जैसा रक्त बहाकर

 तूफानों से चलते हैं।।

धरती- अम्बर थम जाते हैं

जब योध्दा रणभूमि निकलते हैं।

सोने से ज्यादा चमक शौर्य 

 उनके चेहरे पे उभरते हैं।।

इतना आवेश उमड़ता हैै,

जब दुश्मन कहीं दिखाई दे ।।

अत्याचारों से लड़ना 

वीर हमें सिखलाते हैं ।

जब मिले प्रेम गर अपना-सा 

वो तरल मोम बन जाते हैं।।

अग्नि से ज्यादा ज्वाला 

उनके अन्तर्मन में जलती है ।

अपराधों का नाश कर 

वो सुन्दर चमन बनाते हैं ।।

उनके साहस की गाथा 

अमर और बलिदानी है।।

               

                             

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