हर कोई अपना अपना /गरिमा कांसकार

हर कोई अपना अपना 
कहकर अपनापन जताता है
वक्त की धूप में रिश्ता
झुलस जाता है
तो रोना आ ही जाता है

हर कोई मतलब के लिए 
 अपना अपना हो जाता है
फिर मतलब पूरा होते ही 
गैर हो जाता है
तो रोना आ ही जाता हैं 

जब को गलत गलत न कहे
और सही को सही न कहे
तो रोना आ ही जाता है

दिल के कोने में छुपा घाव गहराकर 
दर्द से मन सिहर जाता है
तो रोना आ ही जाता है 


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