हर कोई अपना अपना
कहकर अपनापन जताता है
वक्त की धूप में रिश्ता
झुलस जाता है
तो रोना आ ही जाता है
हर कोई मतलब के लिए
अपना अपना हो जाता है
फिर मतलब पूरा होते ही
गैर हो जाता है
तो रोना आ ही जाता हैं
जब को गलत गलत न कहे
और सही को सही न कहे
तो रोना आ ही जाता है
दिल के कोने में छुपा घाव गहराकर
दर्द से मन सिहर जाता है
तो रोना आ ही जाता है
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