क्यों अबतक न कटी उन हैवानों की बोटियाँ
क्यों सेंक रहे हैं सब सिर्फ बातों की रोटियाँ
पूँछती है आज इस देश की हर बेटी,
क्यों आज भी सुरक्षित नहीं हैं बेटियाँ?
क्यों इस समाज ने न बेटी का सम्मान किया
क्यों हवस मिटाने को बेटी का अपमान किया
यूं तो पूजते हैं बेटियों को नवरातों में सब,
फिर क्यों आज भी सुरक्षित नहीं हैं बेटियाँ?
क्यों उन हैवानों को इतना आज़ाद किया
क्यों जीवित है वो जो बेटी को बर्बाद किया
कहने को तो कानून सबके लिए है इस देश मे,
फिर क्यों आज भी सुरक्षित नहीं हैं बेटियाँ?
क्यों हर दिन भेड़ियों की शिकार होती हैं बेटियाँ
क्यों इस दुनिया मे डर-डर के जीती हैं बेटियाँ
बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ का नारा तो सबने दिया
फिर क्यों आज भी सुरक्षित नहीं हैं बेटियाँ?
क्यों न्याय में सबने जलाई सिर्फ मोमबत्तियां
क्यों समाज ने अब साध ली है सिर्फ चुप्पियां
अगर करते नही फर्क बेटा और बेटी में तो,
फिर आज भी सुरक्षित क्यों नहीं हैं बेटियाँ?
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