कितनी हरियाली है यहां मत इसे सुनसान करो।
अ मानव मैने सुना है कि तू बड़ा ही समझदार है।
मगर तेरी इंसानियत पर आज तुझे धिक्कार है।
क्या इस धरा की चीख नहीं सुनती तेरे कान को,
सही से झांक कर तो देख अपने गिरेबान को।
तू धरा का चीर हरण कर घोर पाप कर रहा है,
मंदिर की मूर्ति के आगे बैठकर झूठा जाप कर रहा है।
आलीशान कोठी के लिए धरा का सीना चीर दिया,
ना कभी पेड़ो को पानी ना कभी पंछी को नीर दिया।
ये धरा चीख चीख कर पुकार कर रही है,
तेरे कृत्यों से ये धरा जीते जी मर रही हैं।
ये धरा कितने अच्छे अच्छे पेड़ो से भरी थी,
कही लाल रंग की चुनरी तो कहीं हरी थी।
सजा दो यूंही इस धरा को फिर से एक नेक काम करो,
इस हरी भरी धरा को मत यूं वीरान करो।
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