जहान में मंज़र-ऐ-ग़म से लड़कर आये हैं…
हम ज़मीं पर आसमाँ से उतरकर आये है…
ला-हासिल ज़िंदगी को पाने के लिये…
हम दुनिया की मुसीबतों से गुज़रकर आये हैं…
इक वफ़ा पाने के ख़ातिर हम…
आँसुओं के मोती से सँवरकर आये हैं…
मोहब्बत कब कहाँ कैंसे बाँटनी है…
दुनिया जहान की बातों को समझकर आये हैं…
एक तेरे इश्क़ को पाने के ख़ातिर आनंद…
हम उस ख़ुदा से लड़कर ज़मीं पर आये हैं…
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