ज़िंदगी में कोई दो पल /गौरव अग्रवाल "मन"

ज़िंदगी में कोई दो पल मेरे पास न बैठा,
आज सब मेरे पास बैठे जा रहे थे,
कोई तोहफा न मिला आज तक,
आज फूलों में फूल दिए जा रहे थे,
तरस गए थे हम किसी एक हाथ के लिए,
आज कांधे पर कांधे दिए जा रहे थे,
आज पता चला कि मौत कितनी हसीन होती है,
कमबख्त हम तो यूं ही ज़िंदगी जिए जा रहे थे.....

Post a Comment

0 Comments